लेखनी कविता -रोजी - अमृता प्रीतम

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रोजी / अमृता प्रीतम नीले आसमान के कोने में रात-मिल का साइरन बोलता है चाँद की चिमनी में से सफ़ेद गाढ़ा धुआँ उठता है सपने — जैसे कई भट्टियाँ हैं हर ...

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